राजा कृष्ण देव राय प्रिय पाठको,आज हम दक्षिण भारत के एक ऐसे शासक के विषय मे जानने का प्रयास करेंगे जिनकी ख्याति कतई भी शिवाजी व महाराणा प्रताप से कम नही थी। कृष्ण देवराय विजय नगर साम्राज्य मे तुलुव वंश के प्रतापी शासक थे। स्वयं बाबर ने अपनी आत्म कथा "बाबरनामा "मे कृष्णदेव राय को भारत का सबसे ताकतवर शासक माना। इस शासक का महत्व दक्षिण भारत मे हिन्दु साम्राज्य के विस्तार के लिए भी स्वीकार्य किया जाता है। साम्राज्य : लगभग 15वी शदी के मध्य से बीदर ,गोलकुण्डा, अहमदनगर जैसे साम्राज्य अस्तित्व मे आए जिन्होंने विजयनगर शासको के समक्ष चुनौति प्रस्तुत कि , किन्तु कृष्ण देव राय ने सभी क्षेत्रीय शक्तियो को पराजित कर सुदूर दक्षिण तक साम्राज्य को स्थापित किया। तात्कालीन विजयनगर मे वर्तमान के गोवा, तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश आदि सम्मिलित थे। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी एक सौन्दर्य युक्त नगर व विजय नगर साम्राज्य कि राजधानी थी। इसकी सौन्दर्यता का वर्णन कई विदेशी यात्री जैसे नूनीज,अब्दुररज्जाक निकोलोकोण्टी ने समय समय पर की। कला एवं साहित्य: किसी भी साम्राज्य मे यदि आन्तरिक अशांति अनुपस्थित होती है तो वहां कला, साहित्य, शिक्षा आदि सभी मानवीय रचनात्मकता के विभिन्न परिप्रेक्षयो का विकास होता है (जैसे:विक्रमादित्य द्वितीय का शासनकाल ) विजय नगर को भी अपनी महान स्थापत्यकला व तेलुगू साहित्य पर गर्व है। स्वयं कृष्णदेवराय तेलुगु भाषा के बड़े विद्वान थे। "अमुक्त मात्यम "नामक पुस्तक कि रचना इन्होने ही की। साथ ही अष्टदिग्गज या आन्ध्रभोज शब्दावली का उपयोग साहित्यिक रचनाकारो के लिए ही होता था। जिनकी संख्या8 थी। स्थापत्य कला कि द्रविड़ शैली का उपयोग विजयनगर के भवनो मे दृष्टिगत होता है किन्तु कल्याणमण्डप नामक एक नवीन संरचना का उपयोग पहली बार इस साम्राज्य मे हुआ। कृष्ण देव राय द्वारा निर्मित विट्ठल स्वामी मंदिर, हजारा मंदिर आदि इसके उदाहरण है।
प्रशासन और समाज: कृष्णदेव राय की प्रशासनिक विलक्षणता अद्वितीय थी । माना जाता है कि इससे ही प्रभावित होकर अकबर ने अपने दरबार में नौ रत्नों को नियुक्त किया। यद्यपि आप कृष्णदेव राय के सभी नौ रत्नों से परिचित नहीं होंगे किंतु तेनालीराम रामचंद्रन का नाम आपने अवश्य सुना होगा जो कि एक बुद्धिमान ब्राह्मण था तथा कृष्णदेवराय का सलाहकार भी था इसकी तुलना परवर्ती बीरबल से की जाती है जो अकबर के दरबार में एक महत्वपूर्ण पद पर था कृष्ण देव राय को एक लोक कल्याणकारी शासक माना जाता था जनता की सेवा के लिए कृष्णदेव राय ने अनेक कार्य किए जैसे नहरों व सड़को तथा सार्वजनिक पुस्तकालयों का निर्माण आदि। इतिहासकारों का एक तबका यह भी मानता है कि कृष्ण देव राय ने प्रजा को पूर्व से चले आ रहे कई कष्टकारी करो से मुक्ति दिलाई थी जिसमें विवाह कर उल्लेखनीय है कृष्णदेव राय का प्रशासन आयंगर व्यवस्था परआधारित था जिससे प्रेरित होकर अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था को प्रारंभ किया। आयंगर व्यवस्था में भू पतियों को लगान मुक्त भूमि दान दी जाती थी। जिन्हें अमर नायक कहते थे विजयनगर साम्राज्य में ब्राह्मणों को भी भूमि दान दिया जाता था। ( हम्पी :कर्नाटक)
धार्मिक पक्ष: कृष्णदेव राय की छवि एक धर्मनिरपेक्ष शासक की रही है जिसमें हिंदुओं के अतिरिक्त जैनो, बौद्ध तथा मुस्लिम समुदायों के प्रति भी सहिष्णुता की नीति कृष्णदेव राय की तरफ से देखने को मिलती है। वह सभी धर्मावलंबियों का सम्मान करता था किंतु उसकी स्वयं की आस्था हिन्दु धर्म में थी । वर्तमान का हम्पी भी विजयनगर साम्राज्य की वैभवशालीता का एक जीवंत प्रमाण है इसलिए इसे एक विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है जो कई मायनों में विलक्षण है तथा भारत के गौरवशाली इतिहास की गाथा गाता है। कृष्णदेव राय ने अपने शासनकाल में ही अपने छोटे भाई को अगला शासक नियुक्त कर दिया था किंतु इनकी मृत्यु के बाद विजयनगर योग्य शासकों से विमुक्त हो गया जिसकी परिणति विजयनगर साम्राज्य की पतन के रूप में देखने को मिलती है। जो एक समय समृद्ध बाजारों से सजा हुआ एक विशाल साम्राज्य था वह वर्तमान में मात्र एक खंडहर है। जो मनुष्य को भी एक सीख देते है वह हे हर चकाचौंध के नश्वरता की सीख ताकि मनुष्य भी अपने स्वयं के सौन्दर्य पर अभिमान न कर सके । (avinash chandra mishra ) King Krishna Dev Raya. Dear readers, today we will try to know about a ruler of South India, whose fame was not less than Shivaji and Maharana Pratap. Krishna Devaraya was the glorious ruler of the Tuluva dynasty in the Vijay Nagar empire. Babar himself considered Krishnadeva Raya the most powerful ruler of India in his self-story "Baburnama". The importance of this ruler is also acknowledged for the expansion of Hindu empire in South India. Empire: From about the middle of the 15th century, kingdoms like Bidar, Golconda, Ahmednagar came into existence, which challenged the Vijayanagara rulers, but Krishna Deva Raya defeated all the regional powers and established the empire to the far south. The erstwhile Vijayanagara included present-day Goa, Tamil Nadu, Karnataka, Andhra Pradesh etc. Hampi, situated on the banks of the Tungabhadra River, was a beautiful city and the capital of the Vijay Nagar empire. Its beauty has been described from time to time by many foreign travelers such as Nuniz, Abdurrazzak Nicolokonti. Art and Literature: If internal disturbance is absent in any empire, then there is development of various perspectives of all human creativity in arts, literature, education etc. (eg: Vikramaditya II's reign) Vijay Nagar also has its great architecture and Telugu literature. Proud of. Krishnadevaraya himself was a great scholar of Telugu language. He composed a book called "Akitam Maatyam". Also, the Ashtadiggaj or Andrabhoja terminology was used for literary writers only. Whose number was 8. The use of Dravidian style of architecture is visible in the buildings of Vijayanagar, but a new structure called Kalyanamandap was used for the first time in this empire. The Vitthal Swamy Temple, Hazara Temple etc. built by Krishna Dev Rai are examples of this.
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Administration and Society: Krishnadeva Raya's administrative prodigy was unique. It is believed that Akbar appointed nine gems in his court. Although you will not be familiar with all the nine gems of Krishnadeva Raya, you must have heard the name of Tenaliram Ramachandran who was a wise Brahmin and also an advisor to Krishnadevaraya.It is compared to the latter Birbal who occupies an important position in Akbar's court. It was Krishna Dev Rai who was considered a public welfare ruler, for the service of the public, Krishnadev Rai did many things like canals and roads and construction of public libraries etc. A section of historians also believe that Krishna Dev Rai had liberated the people from many troublesome karas from the east, in which it is notable that the administration of Krishnadeva Raya was based on the Iyengar system, which inspired Akbar to start the Mansabdari system. . In the Iyengar system, land-free land was donated to land husbands. Those who were called Amar Nayaks also donated land to Brahmins in the Vijayanagara Empire. (Hampi: Karnataka)
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Religious aspect: Krishnadeva Raya's image has been that of a secular ruler, in addition to Hindus, the policy of tolerance towards Jaino, Buddhist and Muslim communities is seen from Krishnadeva Raya. He respected all the religious but his own faith was in Hinduism. The present-day Hampi is also a living proof of the grandeur of the Vijayanagara Empire, hence it has the status of a World Heritage Site which is unique in many ways and sings the glorious history of India. Krishnadeva Raya appointed his younger brother as the next ruler in his reign, but after his death Vijayanagara was relieved of worthy rulers, which culminates in the decline of the Vijayanagara Empire. What was once a vast empire adorned with rich markets is currently just a ruin. Those who give a lesson to humans also learn about the impermanence of the glare so that even humans cannot boast of their own beauty.
प्रशासन और समाज: कृष्णदेव राय की प्रशासनिक विलक्षणता अद्वितीय थी । माना जाता है कि इससे ही प्रभावित होकर अकबर ने अपने दरबार में नौ रत्नों को नियुक्त किया। यद्यपि आप कृष्णदेव राय के सभी नौ रत्नों से परिचित नहीं होंगे किंतु तेनालीराम रामचंद्रन का नाम आपने अवश्य सुना होगा जो कि एक बुद्धिमान ब्राह्मण था तथा कृष्णदेवराय का सलाहकार भी था इसकी तुलना परवर्ती बीरबल से की जाती है जो अकबर के दरबार में एक महत्वपूर्ण पद पर था कृष्ण देव राय को एक लोक कल्याणकारी शासक माना जाता था जनता की सेवा के लिए कृष्णदेव राय ने अनेक कार्य किए जैसे नहरों व सड़को तथा सार्वजनिक पुस्तकालयों का निर्माण आदि। इतिहासकारों का एक तबका यह भी मानता है कि कृष्ण देव राय ने प्रजा को पूर्व से चले आ रहे कई कष्टकारी करो से मुक्ति दिलाई थी जिसमें विवाह कर उल्लेखनीय है कृष्णदेव राय का प्रशासन आयंगर व्यवस्था परआधारित था जिससे प्रेरित होकर अकबर ने मनसबदारी व्यवस्था को प्रारंभ किया। आयंगर व्यवस्था में भू पतियों को लगान मुक्त भूमि दान दी जाती थी। जिन्हें अमर नायक कहते थे विजयनगर साम्राज्य में ब्राह्मणों को भी भूमि दान दिया जाता था। ( हम्पी :कर्नाटक)
धार्मिक पक्ष: कृष्णदेव राय की छवि एक धर्मनिरपेक्ष शासक की रही है जिसमें हिंदुओं के अतिरिक्त जैनो, बौद्ध तथा मुस्लिम समुदायों के प्रति भी सहिष्णुता की नीति कृष्णदेव राय की तरफ से देखने को मिलती है। वह सभी धर्मावलंबियों का सम्मान करता था किंतु उसकी स्वयं की आस्था हिन्दु धर्म में थी । वर्तमान का हम्पी भी विजयनगर साम्राज्य की वैभवशालीता का एक जीवंत प्रमाण है इसलिए इसे एक विश्व विरासत स्थल का दर्जा प्राप्त है जो कई मायनों में विलक्षण है तथा भारत के गौरवशाली इतिहास की गाथा गाता है। कृष्णदेव राय ने अपने शासनकाल में ही अपने छोटे भाई को अगला शासक नियुक्त कर दिया था किंतु इनकी मृत्यु के बाद विजयनगर योग्य शासकों से विमुक्त हो गया जिसकी परिणति विजयनगर साम्राज्य की पतन के रूप में देखने को मिलती है। जो एक समय समृद्ध बाजारों से सजा हुआ एक विशाल साम्राज्य था वह वर्तमान में मात्र एक खंडहर है। जो मनुष्य को भी एक सीख देते है वह हे हर चकाचौंध के नश्वरता की सीख ताकि मनुष्य भी अपने स्वयं के सौन्दर्य पर अभिमान न कर सके । (avinash chandra mishra ) King Krishna Dev Raya. Dear readers, today we will try to know about a ruler of South India, whose fame was not less than Shivaji and Maharana Pratap. Krishna Devaraya was the glorious ruler of the Tuluva dynasty in the Vijay Nagar empire. Babar himself considered Krishnadeva Raya the most powerful ruler of India in his self-story "Baburnama". The importance of this ruler is also acknowledged for the expansion of Hindu empire in South India. Empire: From about the middle of the 15th century, kingdoms like Bidar, Golconda, Ahmednagar came into existence, which challenged the Vijayanagara rulers, but Krishna Deva Raya defeated all the regional powers and established the empire to the far south. The erstwhile Vijayanagara included present-day Goa, Tamil Nadu, Karnataka, Andhra Pradesh etc. Hampi, situated on the banks of the Tungabhadra River, was a beautiful city and the capital of the Vijay Nagar empire. Its beauty has been described from time to time by many foreign travelers such as Nuniz, Abdurrazzak Nicolokonti. Art and Literature: If internal disturbance is absent in any empire, then there is development of various perspectives of all human creativity in arts, literature, education etc. (eg: Vikramaditya II's reign) Vijay Nagar also has its great architecture and Telugu literature. Proud of. Krishnadevaraya himself was a great scholar of Telugu language. He composed a book called "Akitam Maatyam". Also, the Ashtadiggaj or Andrabhoja terminology was used for literary writers only. Whose number was 8. The use of Dravidian style of architecture is visible in the buildings of Vijayanagar, but a new structure called Kalyanamandap was used for the first time in this empire. The Vitthal Swamy Temple, Hazara Temple etc. built by Krishna Dev Rai are examples of this.
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Administration and Society: Krishnadeva Raya's administrative prodigy was unique. It is believed that Akbar appointed nine gems in his court. Although you will not be familiar with all the nine gems of Krishnadeva Raya, you must have heard the name of Tenaliram Ramachandran who was a wise Brahmin and also an advisor to Krishnadevaraya.It is compared to the latter Birbal who occupies an important position in Akbar's court. It was Krishna Dev Rai who was considered a public welfare ruler, for the service of the public, Krishnadev Rai did many things like canals and roads and construction of public libraries etc. A section of historians also believe that Krishna Dev Rai had liberated the people from many troublesome karas from the east, in which it is notable that the administration of Krishnadeva Raya was based on the Iyengar system, which inspired Akbar to start the Mansabdari system. . In the Iyengar system, land-free land was donated to land husbands. Those who were called Amar Nayaks also donated land to Brahmins in the Vijayanagara Empire. (Hampi: Karnataka)
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Religious aspect: Krishnadeva Raya's image has been that of a secular ruler, in addition to Hindus, the policy of tolerance towards Jaino, Buddhist and Muslim communities is seen from Krishnadeva Raya. He respected all the religious but his own faith was in Hinduism. The present-day Hampi is also a living proof of the grandeur of the Vijayanagara Empire, hence it has the status of a World Heritage Site which is unique in many ways and sings the glorious history of India. Krishnadeva Raya appointed his younger brother as the next ruler in his reign, but after his death Vijayanagara was relieved of worthy rulers, which culminates in the decline of the Vijayanagara Empire. What was once a vast empire adorned with rich markets is currently just a ruin. Those who give a lesson to humans also learn about the impermanence of the glare so that even humans cannot boast of their own beauty.
Thanks 😊 sir ji
ReplyDeleteGreat👍
ReplyDeleteGreat👍
ReplyDeleteVery helpful knowledge sir
ReplyDelete🤗👍
ReplyDeleteKnowledgeable content sirji
ReplyDeleteThanks sir💐👌
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